संवाददाता - बागी न्यूज 24
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आजमगढ़। मौसम का मिजाज हर दिन बदल रहा है। सुबह और शाम के बाद ठिठुरन महसूस होने लगी है। कभी सुबह तो कभी दिन डूबने के बाद कोहरे का भी प्रकोप दिख रहा है। गनीमत यह कि दृश्यता अभी 11 किमी तक रही इसलिए वाहन चालकों की परेशानी नहीं बढ़ी है, लेकिन शारीरिक रूप से कमजोर और बीमार अगर सावधान नहीं रहे तो उनके साथ समस्या बढ़ सकती है।
मौसम की बेरूखी को देख चिकित्सक ने भी बीमार और शारीरिक रूप् से कमजोर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। न्यूनतम तापमान 16 डिग्री से घटकर 14 पर जा पहुंचा है, तो अधिकतम 26 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह-शाम गलन बढ़ी तो कान में मफलर लगाना पड़ गया। ठंड का अहसास बच्चों और युवाओं को भले नहीं हो रहा है, लेकिन वृद्ध और बीमारों पर इसका असर दिखने लगा है। चिकित्सकों का कहना है कि सर्द मौसम से ज्यादा घातक तापमान में उतार-चढ़ाव होता है। सलाह दी कि बच्चों को हर वक्त पूरा कपड़ा पहनाएं और ध्यान रखें कि पानी में ज्यादा देर तक न रहें। हल्की सी भी सर्दी हो, तो तुरंत डाक्टर से मिलें, क्योंकि यही सर्दी निमोनिया का कारण बन सकती है। अस्थि रोगियों को तो ठंड से पूरा परहेज करना चाहिए, क्योंकि ठंड में तकलीफ बढ़ने की पूरी संभावना रहती है। एलर्जी के मरीज बाहर निकलें तो मास्क लगाना न भूलें। रविवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस, तो न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रहा। आर्द्रता 47 फीसद तो दृश्यता 11 किमी रही। पछुआ हवा की गति दो से पांच किमी घंटे रही। महापंडित राहुल सांकृत्यायन जिला महिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विनय कुमार सिंह यादव ने कहा कि सर्द मौसम में तरह-तरह की समस्याएं आती हैं, लेकिन हाई ब्लड प्रेशर, हर्ट, शुगर व दमा के मरीजों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। सुबह के कोहरे में डस्ट का एलर्जी के रोगियों के लिए ज्यादा घातक होता है। हाई बीपी व हर्ट के मरीजों को ठंड से बचने की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस मौसम में ब्लड का मूवमेंट स्लो हो जाता है और यह स्थिति घातक हो सकती है। ऐसे मरीजों को बहुत सुबह उठने की बजाय धूप निकलने पर उठना चाहिए। समस्या बढ़े तो डाक्टर से मिलकर ही दवा का सेवन करना चाहिए।
मौसम की बेरूखी को देख चिकित्सक ने भी बीमार और शारीरिक रूप् से कमजोर लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है। न्यूनतम तापमान 16 डिग्री से घटकर 14 पर जा पहुंचा है, तो अधिकतम 26 डिग्री सेल्सियस रहा। सुबह-शाम गलन बढ़ी तो कान में मफलर लगाना पड़ गया। ठंड का अहसास बच्चों और युवाओं को भले नहीं हो रहा है, लेकिन वृद्ध और बीमारों पर इसका असर दिखने लगा है। चिकित्सकों का कहना है कि सर्द मौसम से ज्यादा घातक तापमान में उतार-चढ़ाव होता है। सलाह दी कि बच्चों को हर वक्त पूरा कपड़ा पहनाएं और ध्यान रखें कि पानी में ज्यादा देर तक न रहें। हल्की सी भी सर्दी हो, तो तुरंत डाक्टर से मिलें, क्योंकि यही सर्दी निमोनिया का कारण बन सकती है। अस्थि रोगियों को तो ठंड से पूरा परहेज करना चाहिए, क्योंकि ठंड में तकलीफ बढ़ने की पूरी संभावना रहती है। एलर्जी के मरीज बाहर निकलें तो मास्क लगाना न भूलें। रविवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री सेल्सियस, तो न्यूनतम तापमान 14 डिग्री सेल्सियस रहा। आर्द्रता 47 फीसद तो दृश्यता 11 किमी रही। पछुआ हवा की गति दो से पांच किमी घंटे रही। महापंडित राहुल सांकृत्यायन जिला महिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. विनय कुमार सिंह यादव ने कहा कि सर्द मौसम में तरह-तरह की समस्याएं आती हैं, लेकिन हाई ब्लड प्रेशर, हर्ट, शुगर व दमा के मरीजों को ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है। सुबह के कोहरे में डस्ट का एलर्जी के रोगियों के लिए ज्यादा घातक होता है। हाई बीपी व हर्ट के मरीजों को ठंड से बचने की ज्यादा जरूरत है, क्योंकि इस मौसम में ब्लड का मूवमेंट स्लो हो जाता है और यह स्थिति घातक हो सकती है। ऐसे मरीजों को बहुत सुबह उठने की बजाय धूप निकलने पर उठना चाहिए। समस्या बढ़े तो डाक्टर से मिलकर ही दवा का सेवन करना चाहिए।
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