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एसडीएम द्वारा लिखित चर्चित कुंभीपाक उपन्यास पर राज्य से मिला एक लाख का पुरस्कार

  संवाददाता - बागी न्यूज 24     लालगंज / आजमगढ़ l आधुनिक गद्य साहित्य की उपन्यास एक प्रमुख विधा है, जिसका उद्भव और विकास 18वीं शताब्दी में इ...

 

संवाददाता - बागी न्यूज 24   

लालगंज / आजमगढ़ l आधुनिक गद्य साहित्य की उपन्यास एक प्रमुख विधा है, जिसका उद्भव और विकास 18वीं शताब्दी में इंग्लैंड से माना जाता है। यह बंगला साहित्य के माध्यम से हिन्दी में आया, और प्रेमचंद जैसे लेखकों के योगदान से इसका महत्वपूर्ण विकास हुआ। उपन्यास, जीवन के विभिन्न पहलुओं को गहराई से चित्रित करने का एक सशक्त माध्यम है, और इसने सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक परिवर्तनों को भी प्रतिबिंबित किया है। उक्त विचार एसडीएम लालगंज व उत्तर प्रदेश राज्य द्वारा एक लाख रूपये का पुरस्कार प्राप्त 'कुंभीपाक' के उपन्यासकार भूपाल सिंह ने एक प्रेस वार्ता में बातचीत के दौरान कही। उन्होंने बताया कालयवन उपन्यास मेरे द्वारा लिखी गई है। इसके अलावा तीसरा कहानी जल्द से जल्द छप जाएगी। इस दौरान उन्होंने समाजसेवी व पत्रकार श्रवण कुमार को उपन्यास देकर भेंट किया। उन्होंने कहा आधुनिक उपन्यास जीवन की विभिन्न पहलुओं को गहराई से चित्रित करने का एक सशक्त माध्यम है। उन्होंने लिखित चर्चित उपन्यास 'कुंभीपाक' के बारे में उल्लेख करते हुए बताया, 'कुंभीपाक' शब्द का सामान्य आशय उस बहु प्रचारित नर्क से है, जिसकी कर्मजन्य दंड व्यवस्था धर्मप्राण मनुष्य जाति को शाश्वत भय से मुक्त नहीं रहने देती ! अपने कर्मों का भोग मनुष्य इसी जन्म में कर लेता है और स्वर्ग या नरक का अस्तित्व यदि कहीं पर है तो वह यहीं पर है, उनके वैकल्पिक निर्माण का समन्वित दायित्व राज व समाज व्यवस्था का है,यह दोनों ही संस्थाएं मानवीय चरित्र की व्यावृत्तियों से शासित होती हैं और  आडंबर युक्त सांस्कृतिक घालमेल से है। उन्होंने उपन्यास में बताया कि बिना मुर्गे की बांग के भी सुबह के सारे लक्षण एक-एक कर प्रकट हो रहे थे।वैसे भी टपका वासियों ने काफी पहले से सुबह होने के लिए मुर्गे की बांग पर निर्भर रहना छोड़ दिया है। अब गांव में इतने मुर्गे बचे भी नहीं हैं। कुछ वर्ष पूर्व गांव में बेशुमार मुर्गे थे और वह खूब बोलते भी थे! वे कोरस में चिल्लाकर सुबह होने की आधिकारिक घोषणा करते थे। जब तक मंदिर और मस्जिद में लाउडस्पीकर नहीं लगे थे, तब तक की सुबह की सस्वर घोषणा का एकाधिकार मुर्गों के पास ही था। उन्होंने बताया कि कस्बे के बाहरी किनारे पर ही तहसील मुख्यालय है और यह भीड़भाड़ वाला इलाका नहीं माना जाता ! पूरे कस्बे को पार करके तहसील पहुंचने के लिए कई स्थानों के अनिवार्य जाम से जूझकर आना पड़ता है, कोई बाहर से आने वाला व्यक्ति जब बस स्टैंड पर रिक्शा या टेम्पो पकड़कर कहता है कि उसे तहसील जाना है, तो उसे पलट कर अवश्य पूछा जाता है कि कौन सी तहसील नई या पुरानी! इस पर अक्सर छोटी-मोटी झड़प भी हो जाती है,कि जब तहसील के सभी काम नई तहसील में होने लगे हैं, तो कोई पुरानी तहसील में जाकर क्या करेगा!इसके जवाब भी सुनने को मिलता है। कमिश्नर साहब ठहरे थे! वह अभी-अभी बाथरुम से तरो ताजा होकर निकले थे और सोफे पर पसरे पड़े थे।दुआ सलाम के बाद इधर-उधर की नई पुरानी बातें हुई। युसूफ अली ने जमाने की बिगड़ी हालत का रोना रोते हुए बताया कि हुजूर अपने कार्यकाल में जो कुछ भी अच्छा करके गए थे वह अब सब चौपट हो चुका है, ज्यादातर अफसर कानों के कच्चे हैं और जब देखो तब निठल्ले चपलूसों से घिरे रहते हैं।

"BAGI News 24" Chief Editor Abdul Kaidir "Baaghi", Bureau Office –District Cooperative Federation Building, backside Collectorate Police Station, Civil Line, Azamgarh, Uttar Pradesh, India, Pin Number – 276001 E-mail Address – baginews24@gmail.com, Mobile Number - +91 9415370695
















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