संवाददाता - बागी न्यूज 24 आज़मगढ़। जिला कृषि अधिकारी डॉ0 गगनदीप सिंह ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जैव उर्वरक के प्रयोग को प्रो...
संवाददाता - बागी न्यूज 24
आज़मगढ़। जिला कृषि अधिकारी डॉ0 गगनदीप सिंह ने बताया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जैव उर्वरक के प्रयोग को प्रोत्साहित करने की योजना वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक के लिए प्रारंभ की गई है। इस योजना का उद्देश्य मृदा की लगातार कम हो रही उर्वरा शक्ति को बनाए रखने एवं मृदा में जीवांश कार्बन का प्रतिशत बढ़ाने में जैव उर्वरकों का महत्वपूर्ण योगदान है। जैव उर्वरक के उत्पादन एवं प्रयोग के प्रोत्साहन कार्यक्रम से कृषकों में मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने तथा गुणवत्तापूर्ण उत्पादन प्राप्त करने की जागरूकता एवं क्षमता वर्धन का विकास करना है। जैव उर्वरकों के प्रयोग से नाइट्रोजन एवं घुलनशील फास्फोरस की उपलब्धता फसल के लिए बढ़ती है। जिससे रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग कम हो जाता है तथा रासायनिक उर्वरकों के अत्यधिक प्रयोग से उत्पन्न विषाक्तता दूर होती है। रासायनिक उर्वरकों की कीमतें अधिक होने तथा जैव उर्वरकों की कीमतें अपेक्षाकृत कम होने से कृषक की उत्पादन लागत को कम करने में सहायता होती है, जिससे कृषक को फसल की उत्पादन लागत पर अतिरिक्त बचत प्राप्त होती है तथा कृषकों की आय में वृद्धि होती है। जैव उर्वरकों के प्रयोग से पौधों में वृद्धि कारक हारमोंस उत्पन्न होते हैं। यह हार्माेन पौधों की बढ़वार एवं उत्पादन बढ़ाने में सहायक होते हैं तथा किसान के खेत में लाभकारी सूक्ष्म जीवों की संख्या बढ़ती है। जिससे फसल उत्पादन की गुणवत्ता में सुधार होता है। जैव उर्वरकों के प्रयोग से पर्यावरण सुरक्षित रहता है तथा उनके उपयोग से मृदा की गुणवत्ता में सुधार आता है।मृदा मात्र एक भौतिक साधन ही नहीं परंतु जीवित क्रियाशील तंत्र है, जिसमें जीवाणु, फफूंदी, शैवाल, प्रोटोजोआ आदि बहुसंख्य सूक्ष्म जीव पाए जाते हैं। इनमें से कुछ लाभदायक सूक्ष्मजीव, नाइट्रोजन तथा फास्फोरस पोषक तत्व को फसलों के प्राप्य अवस्था में बदल देते हैं। जो पौधों को नाइट्रोजन तथा फास्फोरस आदि पोषक तत्वों की प्राप्यता को सुगम बनाते हैं। जैव उर्वरक पौधों के लिए वृद्धिकारक पदार्थ सुलभता से प्राप्त करने के साथ पारिस्थितिकी संतुलन बनाने में सहायक होते हैं। पौधे के समुचित वृद्धि एवं विकास के लिए मुख्यतः 17 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। जिनमें से नाइट्रोजन एवं फास्फोरस अतिआवश्यक एवं महत्वपूर्ण तत्व हैं। जैव उर्वरक 03 प्रकार के प्रयोग किए जाते हैं। जिनका नाम है, राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, फास्फोरस सॉल्युबलाइजिंग बैक्टीरिया (पीएसबी)। राइजोबियम जैव उर्वरक एक नमीधारक पदार्थ एवं जीवाणुओं का मिश्रण है। जिसके प्रत्येक ग्राम में 10 करोड़ से अधिक राइजोबियम जीवाणु पाए जाते हैं। राइजोबियम जैव उर्वरक केवल दलहनी फसलों में ही प्रयोग किया जा सकता है। राइजोबियम जैव उर्वरक पौधों की जड़ों में ग्रंथियो/नोड्यूल का निर्माण करते हैं। यही ग्रंथियां/नोड्यूल वायुमंडल की नाइट्रोजन को फिक्स करते हुए पौधों को उपलब्ध कराती हैं। राइजोबियम स्पेशीज जैव उर्वरक प्रत्येक दलहनी फसल के लिए पृथक पृथक प्रकार का प्रयोग किया जाता है। राइजोबियम जैव उर्वरक के प्रयोग से 10-30 किलोग्राम तक यूरिया नाइट्रोजन की बचत होती है। राइजोबियम जैव उर्वरक प्रयोग करने से 15-20 प्रतिशत फसल उत्पादन में वृद्धि होती है। राइजोबियम जीवाणु, हार्माेन एवं विटामिन उत्पन्न करते हैं, जिससे पौधों की वृद्धि तथा जड़ विकास अधिक एवं उत्पादन बढ़ता है। इसी प्रकार से एजोटोबेक्टर जैव उर्वरक का प्रयोग किया जाता है। यह वायुमंडल की नाइट्रोजन को अपने शरीर में फिक्स करता है तथा मरने के बाद मिट्टी में नाइट्रोजन की मात्रा को बढ़ाता है। एजोटोबैक्टर जैव उर्वरक के प्रयोग से 20-30 किलोग्राम नाइट्रोजन की बचत होती है तथा 10-20 प्रतिशत फसलों का उत्पादन बढ़ता है। एजोटोवैक्टर के प्रयोग से जीवाणु के द्वारा फसलों में फैलने वाली बीमारिया कम होती हैं तथा पौधों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। एजॉटोबैक्टर जैव उर्वरक के प्रयोग से जड़ एवं तना का विकास अधिक होता है जिससे तेज हवा, अधिक वर्षा एवं सूखे की स्थिति को सहन करने की क्षमता में वृद्धि होती है। इसी प्रकार से फास्फेट सॉल्यूबिलाइजिंग बैक्टीरिया (पीएसबी) नमीधारी उत्पाद है। पीएसबी मृदा में उपलब्ध अघुलनशील फास्फोरस को घुलनशील अवस्था में परिवर्तित करते हुए पौधे को उपलब्ध कराता है। पीएसबी का प्रयोग धान्य फसलें, तिलहनी फसलें, दलहनी फसलें, सब्जियां, आलू, गन्ना इत्यादि सभी फसलों में किया जा सकता है। पीएसबी जैव उर्वरक के प्रयोग से 10-20 प्रतिशत उत्पादन वृद्धि होती है तथा 30-40 प्रतिशत फास्फोरस की बचत की जा सकती है। पीएसबी का प्रयोग करने से पौधे की वानस्पतिक एवं गुणवत्ता पूर्ण वृद्धि होती है जिससे उत्पादन बढ़ता है। जैव उर्वरक 03 प्रकार से प्रयोग किया जा सकते हैं यथा बीज उपचार, जड़ उपचार एवं मृदा उपचार। बीज उपचार करने के लिए 200 ग्राम जैव उर्वरक आधा लीटर पानी में मिलाकर घोल बनाना है। इसके बाद 10 किलोग्राम बीज में मिलाकर अच्छी तरह से छाया में सुखाकर बुवाई कर सकते हैं। इसी प्रकार जड़ उपचार करने के लिए 4 किलोग्राम जैव उर्वरक 20 लीटर पानी में घोल बनाकर पौधों की जड़ों को 20-30 मिनट, घोल में डुबोकर रोपाई कर सकते हैं। मृदा उपचार करने के लिए 50 किलोग्राम मिट्टी $ 50 किलोग्राम कंपोस्ट खाद को 5 किलोग्राम जैव उर्वरक में मिलाकर प्रति हेक्टेयर दर से खेत में छिड़काव कर सकते हैं। जैव उर्वरक प्रयोग करते समय यह सावधानी रखनी है कि यदि कीटनाशक दवाइयो का प्रयोग करना है तो सबसे पहले बीज का उपचार फफूंदीनाशक दवा से करना है। उसके बाद कीटनाशक दवाइयो के माध्यम से उपचार करना है, तथा अंतिम रूप से राइजोबियम जैव उर्वरक का प्रयोग करना है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक पैकेट जैव उर्वरक का दाम रू0 21.00 रुपए प्रति 200 ग्राम पैकेट रखा गया है। इस प्रकार एक पैकेट पर किसान को रू0 15.75 (75 प्रतिशत) रूपए का अनुदान मिलेगा। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जैव उर्वरक का वितरण पहले आओ पहले पाओ नीति पर किया जाएगा। पंजीकृत कृषकों को पी० ओ० एस० मशीन से आधार अथेन्टीकेशन के पश्चात् जैव उर्वरक के वितरण पर सब्सिडी एट सोर्स उपलब्ध करायी जायेगी तथा सम्बन्धित लाभार्थी कृषक से योजना में अनुमन्य अनुदान रू0 15.75 (75 प्रतिशत) की कटौती के पश्चात् अवशेष धनराशि कृषक अंश रू0 5.25 (25 प्रतिशत) के रूप में प्राप्त की जाएगी। जैव उर्वरक एक किसान को अधिकतम 2.0 हेक्टेयर के लिए 40 पैकेट (8 किलोग्राम) जैव उर्वरक ही दिया जाएगा। जिला कृषि अधिकारी डॉ गगन दीप सिंह द्वारा जनपद के किसानों को सूचित किया गया कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राप्त जैव उर्वरक जनपद के प्रत्येक विकासखंड स्तर पर स्थित राजकीय कृषि बीज भंडार से प्राप्त होगा। जिलाधिकारी श्री रवींद्र कुमार द्वितीय द्वारा किसानों को सूचित किया गया कि जनपद में जैव उर्वरक की आपूर्ति लगातार जारी रहेगी, किसानों के लिए किसी भी प्रकार से जैव उर्वरक की कमी नहीं होने दी जाएगी। यदि किसी किसान को किसी भी फसल/जिप्सम/जैव उर्वरक का अथवा किसी भी सीजन में लिए गए बीज/जिप्सम/जैव उर्वरक के अनुदान से संबंधित पूछताछ एवं जानकारी करनी है तो सर्वप्रथम किसान अपने राजकीय कृषि बीज भंडार पर संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकता है। इसके अतिरिक्त किसान जनपद स्तर पर उप कृषि निदेशक श्री आशीष कुमार के मोबाइल नंबर 07839882451/09452293008 पर अवगत करा सकते हैं। बीजों/ जिप्सम/जैव उर्वरक पर अनुदान के विषय में जानकारी के लिए उप कृषि निदेशक कार्यालय के निम्नलिखित मोबाइल नंबर 09565184072/09792773880/ 09794578999/ 09415208288/09415654276/ 07839882455/09616755553/ 08299137837 पर संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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