संवाददाता - बागी न्यूज 24 जनपद के मेहता पार्क में अखिल भारतीय अनु० जाति जनजाति कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन ने राष्ट्रपति को संबोधित बोध...
संवाददाता - बागी न्यूज 24
जनपद के मेहता पार्क में अखिल भारतीय अनु० जाति जनजाति कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन ने राष्ट्रपति को संबोधित बोधित सौंपा पत्रक
आजमगढ। जनपद के मेहता पार्क में अखिल भारतीय
अनु० जाति जनजाति कर्मचारी कर्मचारी कल्याण एसोसिएशन बहुजन बोधि समाज संघर्ष समिति (ठठै-3) एवं आलईडिगा डा० अम्बेडकर स्टूडेन्ट एसोसिएशन को जनपद इकाई आजमगढ़ के नेतृत्व में अनु० जाति के प्रबुद्धजनों ने विगत 1 अगस्त 2024 को भाननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा ेबध्ेज आरक्षण में उपवर्गीकरण एवं क्रीमीलेयर के संदर्भ में दिये गये असंवैधानिक निर्णय के विरोध में जिलाधिकारी आजमगढ़ के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति महोदया को ज्ञापन प्रेषित किया। ज्ञापन से पूर्व डा० अम्बेडकर पार्क में इस सन्दर्भ में संहिप्त सभा की गई। सभा को सम्बोधित करते हुए एसोसिएशन के जिला महासचिव रुद्र प्रताप भारती ने कहा कि यह निर्णय भारतीय संविधान के अनुच्छेद 341 व 342 का स्पष्ट उल्लंघन है, अतः माननीय सुप्रीम कोर्ट को अपने निर्णय पर पुनर्विचार करना चाहिए। जिलाध्यक्ष डा० प्रमोद कुमार गौतम ने कहा कि डध्डा आरक्षण इए वर्ग की जनसंख्या के अनुपात में प्रतिनिधित्व है। उपवर्गीकरण से भविष्य में इन जातियों का प्रतिनिधित्व शून्य हो जायेगा। संविधान सभा ने. ेबसडा का आरक्षण की व्यवस्था करते हुए यह माना था कि इस वर्ग में सम्मिलित सभी जातियां एक सजातीय समूह हैं। जिनके साथ सदियों से सामाजिक अत्याचार हुआ है और जब तक उनके साथ सामाजिक भेदभाव होता रहेगा, तब तक यह व्यवस्था लागू रहेगी। ऐसे में इनका उपवर्गीकरण इनके बीच्च सामाजिक विद्देश्य पैदा करेगा। बहुजन बोधि समाज संघर्ष समिति (ठठै-3) के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार ने बताया कि जाति व्यवस्था इस देश की सभी समस्याओं की जड़ है। इस बड़ के समाप्त किये बगैर समाज और देश का कल्याण सम्भव नहीं है, माननीय का के उपवर्गीकरण सम्बन्धी निर्णय से जाति व्यवस्था की जड़े और मजबूत होगों जो देश हित में नहीं है। मंडल अध्यक्ष प्रमोद कुमार ने कहा कि ेबध्ेज के लिए अनुच्छेद 150 16 जो आरक्षण का आधार है वह सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ापन है ना आर्थिक पिछड़ापन इसलिए इस इस वर्ग में की मीलेयर की संस्तुति असंवैधानि वा कोषाध्यक्ष इं० शिवमूरत बौद्ध ने कहा कि पीढ़ी-दर-पीढ़ी नौकरी की आरक्षण के सन्दर्भ में गलत व्याख्या की जा रही है। अगर एक पोदी के बाद आरक्षण गलत है तो इसे सबसे पहले न्याय व्यवस्था एवं ब्यूरोक्रेसी में लागू करना चाहिए। एसोसिएशन के संरक्षक संजय कुमार ने उपस्थित सभी प्रबुद्धजनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए भारत सरकार से मांग की कि संसद का विशेष सत्र बुलाकर माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस असंवैधानिक फैसले को संविधान संसोधन द्वारा खत्म कर पुरानी व्यवस्था बहाल कि जाय और आरक्षण व्यवस्था को नवीं अनुसूची में डाला जाग।