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विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने सरकार को चेताया

  संवाददाता - बागी न्यूज 24   आजमगढ़। विकसित भारत के लिये निजीकरण नहीं, सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली प्राथमिक आवश्यकता ऊर्जा मंत्री के निजीकरण...

 


संवाददाता - बागी न्यूज 24  

आजमगढ़। विकसित भारत के लिये निजीकरण नहीं, सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली प्राथमिक आवश्यकता ऊर्जा मंत्री के निजीकरण के वक्तव्य से बिजली कर्मियों में भारी आक्रोश’ उत्तर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री मा श्री अरविंद कुमार शर्मा द्वारा आज विधानसभा में बिजली के निजीकरण के पक्ष में दिए गए वक्तव्य से बिजली कर्मियों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया है ।संघर्ष समिति ने कहा है कि विकसित भारत के लिए बिजली का निजीकरण नहीं अपितु सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली उद्योग को रखा जाना प्राथमिक आवश्यकता है, क्योंकि निजी क्षेत्र के लिए बिजली एक व्यापार है और सार्वजनिक क्षेत्र के लिए बिजली एक सेवा है। आगरा में टोरेंट पॉवर कंपनी का प्रयोग इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।
       संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि ऊर्जा मंत्री ने विधानसभा में स्वयं स्वीकार किया है कि निजी घरानों के साथ बहुत महंगी दरों पर बिजली खरीद के करार उप्र में बिजली की दुर्दशा का बहुत बड़ा कारण है। उन्होंने कहा कि बहुत महंगी दरों पर निजी घरानों से बिजली खरीदने के कारण पॉवर कारपोरेशन को लगातार घाटा उठाना पड़ रहा है। इसका उत्तरदायित्व सरकार और प्रबंधन का है, कर्मचारियों का नहीं।
        उन्होंने कहा कि निजीकरण के बाद भी 25-25 वर्ष के लिए किए गये लॉन्ग टर्म बिजली खरीद करारों में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। स्वाभाविक है कि निजी कम्पनी महंगे बिजली खरीद करारों की भरपाई के लिए बिजली की दरें बढ़ाएगा। निजी क्षेत्र महंगी दरों पर बिजली खरीद कर सस्ते दाम पर उपभोक्ताओं को कभी नहीं देगा। आगरा इसका उदाहरण है। संघर्ष समिति ने कहा कि ऊर्जा मंत्री के बयान से और स्पष्ट हो गया है कि निजीकरण से बिजली कर्मियों की बड़े पैमाने पर छटनी होने जा रही है । ऊर्जा मंत्री ने विधानसभा में कहा है कि आगरा की बिजली व्यवस्था टोरेंट पावर कंपनी को देने के बाद वहां काम कर रहे कर्मचारियों को अन्य ऊर्जा निगमों में भेज दिया गया था। उल्लेखनीय है कि आगरा में बहुत कम कर्मचारी थे जिनका अन्य ऊर्जा निगमों में समायोजन किया जा सका था। पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम में लगभग 26500 नियमित कर्मचारी और लगभग  50 हजार संविदा कर्मी कार्यरत हैं। इतनी बड़ी संख्या में बिजली कर्मचारियों और संविदा कर्मियों को अन्य ऊर्जा निगमों में समायोजित करना सम्भव नहीं है। ऐसी स्थिति में बहुत बड़े पैमाने पर बिजली कर्मियों की छटनी होगी। उन्होंने कहा कि निजीकरण किए जाने के पहले ही संविदा कर्मियों को निकाला जा रहा है, फिर निजीकरण के बाद तो उनकी नौकरी जाना निश्चित ही है। इस मामले में ऊर्जा मंत्री का वक्तव्य कि कर्मचारियों की कोई छटनी नहीं होगी, पूरी तरह भ्रामक है। संघर्ष समिति ने कहा कि विकसित भारत के लिए निजीकरण नहीं अपितु सार्वजनिक क्षेत्र में बिजली आवश्यक है। विकसित भारत की दिशा में महती भूमिका निभाने वाले गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा जैसे सम्पन्न प्रांतों में भी बिजली सार्वजनिक क्षेत्र में ही है।
       संघर्ष समिति के आह्वान पर आज लगातार 84 वें दिन प्रदेश के सभी जनपदों और परियोजना मुख्यालय पर बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन जारी रखा। संघर्ष समिति ने कहा है कि किसी भी स्थिति में निजीकरण स्वीकार्य नहीं है और निजीकरण के विरोध में तब तक आंदोलन जारी रहेगा जब तक निजीकरण करने का निर्णय वापस नहीं लिया जाता।

 

"BAGI News 24" Chief Editor Abdul Kaidir "Baaghi", Bureau Office –District Cooperative Federation Building, backside Collectorate Police Station, Civil Line, Azamgarh, Uttar Pradesh, India, Pin Number – 276001 E-mail Address – baginews24@gmail.com, Mobile Number - +91 9415370695













 


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