संवाददाता - बागी न्यूज 24 आजमगढ़ 27 मई-- भारत वर्ष में प्राचीनकाल में पशुपालन और कृषि साथ-साथ होते रहे है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही...
संवाददाता - बागी न्यूज 24
आजमगढ़ 27 मई-- भारत वर्ष में प्राचीनकाल में पशुपालन और कृषि साथ-साथ होते रहे है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही पशुपालन की महत्ता बढ़ती रही। जिस व्यक्ति के पास जितने अधिक पशु होते थे, वह उतना ही आर्थिक रूप से सम्पन्न माना जाता था। पशु खेती, दुग्ध, सवारी, बोझ ढोने, खाद्य पदार्थों के उत्पादन आदि के लिए उपयोगी रहे हैं। कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक रहे हैं। देश मे 20वीं सदी के सातवें दशक के अंत में ‘हरित क्रांति’ आने के बाद कृषि क्षेत्र के उपकरणों एवं उन्नतशील बीजों व रासायनिक उर्वरकों के आगमन से खेती के काम में आने वाले बैलों की कमी आने लगी। दुधारू पशुपालन लगातार होता रहा है। जो पशु उपयोगी नहीं रहें, उन्हें पशुपालकों द्वारा छोड़ दिया गया और ऐसे पशुओं को जंगल में छोड़ने पर उनका कुनबा बढ़ता गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पशुओं, गाय को संरक्षण देने के लिए विशेष योजना बनाई है। मा0 मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत तथा पोषण-मिशन हेतु इच्छुक कृषकों/पशुपालकों के निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों से अधिकतम 04 गोवंश प्रति लाभार्थी पशुपालकों की सुपुर्दगी में दिये जा रहे हैं। इसके लिए प्रति गोवंश 50 रुपये प्रतिदिन की दर से पशुपालकों को पशुओं के भरण-पोषण हेतु दिया जा रहा है।
प्रदेश में पशुपालन प्रत्येक परिवार में होता रहा है। गाँवों में गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर आदि आर्थिक लाभ के पशुओं का पालन होता रहा है। कृषि के बाद ग्रामीणों के आर्थिक विकास में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है। विभिन्न प्रकार की जैव विविधता से परिपूर्ण उत्तर प्रदेश में पूरे देश का सर्वाधिक 16 प्रतिशत से अधिक पशुधन है। प्रदेश में 20वीं पशुगणना (2019) के अनुसार प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख महिषवंश, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी, 4.09 लाख सूकर एवं अन्य पशुधन सहित कुल 691.98 लाख पशुधन है। भारत सरकार के निर्देशानुसार 21वीं पशुगणना का कार्य 25 अक्टूबर 2024 से प्रारम्भ हो गई है।
प्रदेश में निराश्रित/बेसहारा पशुओं से फसलों के नुकसान से बचाने हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में गोसंरक्षण के लिये अस्थायी गोआश्रय स्थल-6744, गोवंश वन्य विहार/वृहद गोसंरक्षण केन्द्र-372, कांजी हाउस-307, कान्हा गोशाला-295, अर्थात कुल 7717 गो-आश्रय स्थलों में 12.52 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं, गो-पालन के लिए 108772 किसानों/पशुपालकों को सुपुर्दगी में 1,68,215 गोवंश दिये जा चुके हैं।
गोवंश के भरण-पोषण हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में रु0 1000 करोड़ तथा वर्ष 2024-25 में करोड़ों रुपये जनपदों को निर्गत किया गया है। वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में स्वीकृत 100 वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों के सापेक्ष 100 केन्द्रों हेतु निर्माण की द्वितीय किस्त रु0 4492 लाख अवमुक्त की गयी। प्रदेश में अब तक 372 नये वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों के निर्माण व 173 वृहद गौ-संरक्षण केन्द्रों का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रदेश में विभाग द्वारा गोशालाओं का पंजीकरण ऑनलाइन किया जा रहा है।
प्रदेश में विगत 8 वर्षों में 2202 पशु चिकित्सालय, 39 नवीन पशु चिकित्सालय एवं 2575 पशु सेवा केन्द्र के अतिरिक्त 03 नवीन पशु सेवा केन्द्रों का निर्माण किया गया है। प्रदेश में पशुओं को विशेष चिकित्सा सुविधाओं की दक्षता एवं विस्तार हेतु 20 पॉलीक्लिनिक संचालित है तथा 05 पॉलीक्लिनिक निर्माणाधीन है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के पशुपालकों के द्वार पर पशु चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार के सहयोग से 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट द्वारा वर्ष 2024-25 में कुल 14.42 लाख से अधिक पशुपालकों के 29.38 लाख पशुओं को चिकित्सीय सुविधा दी गई है। प्रदेश में वर्ष 2024-25 में 1612.77 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया गया है। पशुपालन हेतु प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही सुविधायें, नस्लसुधार का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है।
आजमगढ़ 27 मई-- भारत वर्ष में प्राचीनकाल में पशुपालन और कृषि साथ-साथ होते रहे है। मानव सभ्यता के विकास के साथ ही पशुपालन की महत्ता बढ़ती रही। जिस व्यक्ति के पास जितने अधिक पशु होते थे, वह उतना ही आर्थिक रूप से सम्पन्न माना जाता था। पशु खेती, दुग्ध, सवारी, बोझ ढोने, खाद्य पदार्थों के उत्पादन आदि के लिए उपयोगी रहे हैं। कृषि और पशुपालन एक दूसरे के पूरक रहे हैं। देश मे 20वीं सदी के सातवें दशक के अंत में ‘हरित क्रांति’ आने के बाद कृषि क्षेत्र के उपकरणों एवं उन्नतशील बीजों व रासायनिक उर्वरकों के आगमन से खेती के काम में आने वाले बैलों की कमी आने लगी। दुधारू पशुपालन लगातार होता रहा है। जो पशु उपयोगी नहीं रहें, उन्हें पशुपालकों द्वारा छोड़ दिया गया और ऐसे पशुओं को जंगल में छोड़ने पर उनका कुनबा बढ़ता गया। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने पशुओं, गाय को संरक्षण देने के लिए विशेष योजना बनाई है। मा0 मुख्यमंत्री सहभागिता योजनान्तर्गत तथा पोषण-मिशन हेतु इच्छुक कृषकों/पशुपालकों के निराश्रित गोवंश आश्रय स्थलों से अधिकतम 04 गोवंश प्रति लाभार्थी पशुपालकों की सुपुर्दगी में दिये जा रहे हैं। इसके लिए प्रति गोवंश 50 रुपये प्रतिदिन की दर से पशुपालकों को पशुओं के भरण-पोषण हेतु दिया जा रहा है।
प्रदेश में पशुपालन प्रत्येक परिवार में होता रहा है। गाँवों में गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर आदि आर्थिक लाभ के पशुओं का पालन होता रहा है। कृषि के बाद ग्रामीणों के आर्थिक विकास में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है। विभिन्न प्रकार की जैव विविधता से परिपूर्ण उत्तर प्रदेश में पूरे देश का सर्वाधिक 16 प्रतिशत से अधिक पशुधन है। प्रदेश में 20वीं पशुगणना (2019) के अनुसार प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख महिषवंश, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी, 4.09 लाख सूकर एवं अन्य पशुधन सहित कुल 691.98 लाख पशुधन है। भारत सरकार के निर्देशानुसार 21वीं पशुगणना का कार्य 25 अक्टूबर 2024 से प्रारम्भ हो गई है।
प्रदेश में निराश्रित/बेसहारा पशुओं से फसलों के नुकसान से बचाने हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में गोसंरक्षण के लिये अस्थायी गोआश्रय स्थल-6744, गोवंश वन्य विहार/वृहद गोसंरक्षण केन्द्र-372, कांजी हाउस-307, कान्हा गोशाला-295, अर्थात कुल 7717 गो-आश्रय स्थलों में 12.52 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं, गो-पालन के लिए 108772 किसानों/पशुपालकों को सुपुर्दगी में 1,68,215 गोवंश दिये जा चुके हैं।
गोवंश के भरण-पोषण हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में रु0 1000 करोड़ तथा वर्ष 2024-25 में करोड़ों रुपये जनपदों को निर्गत किया गया है। वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में स्वीकृत 100 वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों के सापेक्ष 100 केन्द्रों हेतु निर्माण की द्वितीय किस्त रु0 4492 लाख अवमुक्त की गयी। प्रदेश में अब तक 372 नये वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों के निर्माण व 173 वृहद गौ-संरक्षण केन्द्रों का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रदेश में विभाग द्वारा गोशालाओं का पंजीकरण ऑनलाइन किया जा रहा है।
प्रदेश में विगत 8 वर्षों में 2202 पशु चिकित्सालय, 39 नवीन पशु चिकित्सालय एवं 2575 पशु सेवा केन्द्र के अतिरिक्त 03 नवीन पशु सेवा केन्द्रों का निर्माण किया गया है। प्रदेश में पशुओं को विशेष चिकित्सा सुविधाओं की दक्षता एवं विस्तार हेतु 20 पॉलीक्लिनिक संचालित है तथा 05 पॉलीक्लिनिक निर्माणाधीन है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के पशुपालकों के द्वार पर पशु चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार के सहयोग से 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट द्वारा वर्ष 2024-25 में कुल 14.42 लाख से अधिक पशुपालकों के 29.38 लाख पशुओं को चिकित्सीय सुविधा दी गई है। प्रदेश में वर्ष 2024-25 में 1612.77 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया गया है। पशुपालन हेतु प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही सुविधायें, नस्लसुधार का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है।
प्रदेश में पशुपालन प्रत्येक परिवार में होता रहा है। गाँवों में गाय, बैल, भैंस, बकरी, भेड़, सुअर आदि आर्थिक लाभ के पशुओं का पालन होता रहा है। कृषि के बाद ग्रामीणों के आर्थिक विकास में पशुपालन का महत्वपूर्ण योगदान है। विभिन्न प्रकार की जैव विविधता से परिपूर्ण उत्तर प्रदेश में पूरे देश का सर्वाधिक 16 प्रतिशत से अधिक पशुधन है। प्रदेश में 20वीं पशुगणना (2019) के अनुसार प्रदेश में 190.20 लाख गोवंश, 330.17 लाख महिषवंश, 9.85 लाख भेड़, 144.80 लाख बकरी, 4.09 लाख सूकर एवं अन्य पशुधन सहित कुल 691.98 लाख पशुधन है। भारत सरकार के निर्देशानुसार 21वीं पशुगणना का कार्य 25 अक्टूबर 2024 से प्रारम्भ हो गई है।
प्रदेश में निराश्रित/बेसहारा पशुओं से फसलों के नुकसान से बचाने हेतु मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के कुशल नेतृत्व में प्रदेश में गोसंरक्षण के लिये अस्थायी गोआश्रय स्थल-6744, गोवंश वन्य विहार/वृहद गोसंरक्षण केन्द्र-372, कांजी हाउस-307, कान्हा गोशाला-295, अर्थात कुल 7717 गो-आश्रय स्थलों में 12.52 लाख से अधिक गोवंश संरक्षित हैं, गो-पालन के लिए 108772 किसानों/पशुपालकों को सुपुर्दगी में 1,68,215 गोवंश दिये जा चुके हैं।
गोवंश के भरण-पोषण हेतु वित्तीय वर्ष 2023-24 में रु0 1000 करोड़ तथा वर्ष 2024-25 में करोड़ों रुपये जनपदों को निर्गत किया गया है। वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में स्वीकृत 100 वृहद गो-संरक्षण केन्द्रों के सापेक्ष 100 केन्द्रों हेतु निर्माण की द्वितीय किस्त रु0 4492 लाख अवमुक्त की गयी। प्रदेश में अब तक 372 नये वृहद गोसंरक्षण केन्द्रों के निर्माण व 173 वृहद गौ-संरक्षण केन्द्रों का निर्माण कार्य चल रहा है। प्रदेश में विभाग द्वारा गोशालाओं का पंजीकरण ऑनलाइन किया जा रहा है।
प्रदेश में विगत 8 वर्षों में 2202 पशु चिकित्सालय, 39 नवीन पशु चिकित्सालय एवं 2575 पशु सेवा केन्द्र के अतिरिक्त 03 नवीन पशु सेवा केन्द्रों का निर्माण किया गया है। प्रदेश में पशुओं को विशेष चिकित्सा सुविधाओं की दक्षता एवं विस्तार हेतु 20 पॉलीक्लिनिक संचालित है तथा 05 पॉलीक्लिनिक निर्माणाधीन है। प्रदेश सरकार ने प्रदेश के पशुपालकों के द्वार पर पशु चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराने के उद्देश्य से भारत सरकार के सहयोग से 520 मोबाइल वेटनरी यूनिट द्वारा वर्ष 2024-25 में कुल 14.42 लाख से अधिक पशुपालकों के 29.38 लाख पशुओं को चिकित्सीय सुविधा दी गई है। प्रदेश में वर्ष 2024-25 में 1612.77 लाख से अधिक पशुओं का टीकाकरण किया गया है। पशुपालन हेतु प्रदेश सरकार द्वारा दी जा रही सुविधायें, नस्लसुधार का ही परिणाम है कि उत्तर प्रदेश दुग्ध उत्पादन में देश में प्रथम स्थान पर है।
"BAGI News 24" Chief Editor Abdul Kaidir "Baaghi", Bureau Office –District Cooperative Federation Building, backside Collectorate Police Station, Civil Line, Azamgarh, Uttar Pradesh, India, Pin Number – 276001 E-mail Address – baginews24@gmail.com, Mobile Number - +91 9415370695


