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कुष्ठ से प्रभावित व्यक्तियों से किसी भी प्रकार का भेदभाव न किया जाए : डीएम

  संवाददाता - बागी न्यूज 24   आजमगढ़। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया है कि समाज में कुष्ठ रोग (हैन्सन रोग) के सम्बन्ध में अनेक भ्रान्तिय...

 

संवाददाता - बागी न्यूज 24  

आजमगढ़। जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार ने बताया है कि समाज में कुष्ठ रोग (हैन्सन रोग) के सम्बन्ध में अनेक भ्रान्तियाँ फैली होने के कारण कुष्ठ रोगियों से भेदभावपूर्ण व्यवहार होने की संभावना बनी रहती है। इस कारण कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्तियों को चिकित्सालयों में जाकर इलाज कराने में असहजता संभावित है। उन्होने बताया कि उपचार में विलम्ब होने के कारण विकलांगता हो सकती है, कुष्ठ जनित विकलांगता के कारण कुष्ठ रोगियों को पारिवारिक एक सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। कुष्ठ रोग (हैन्सन रोग) एक बैक्टीरिया जनित रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्रे के कारण होता है। यह एक संक्रामक रोग है, जिसकी संक्रामकता बहुत कम है, यह छुआछूत की बीमारी नहीं है। कुष्ठ रोग की जाँच एवं उपचार हेतु वर्ष 1983 से संचालित मल्टी ड्रग थेरेपी (एम०डी०टी०) रेजीमेन के कारण कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्ति नियमित उपचार से रोग मुक्त होकर पूर्णतया स्वस्थ हो जाता है। कुष्ठ रोग से प्रभावित व्यक्ति को एम०डी०टी० की पहली खुराक खिलाने के पश्चात ही 99.9 प्रतिशत बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। इस कारण कुष्ठ प्रभावित व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को संक्रमित नहीं कर सकता है। ससमय ईलाज लेने से विकलांगता को पूर्णतया रोका जा सकता है। एम०डी०टी० रेजीमन के कारण कुष्ठ रोगियों की संख्या एवं विकलांगता में गिरावट आई है। जिलाधिकारी ने बताया कि मुख्य विकास अधिकारी एवं मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देशित किया है कि विभागों द्वारा सुनिश्चित कराया जाए कि कुष्ठ से प्रभावित व्यक्तियों से किसी भी प्रकार का भेदभाव न किया जाए। कुष्ठ रोगियों से सामान्य व्यक्तियों की भांति ही व्यवहार करते हुये विभाग की विभिन्न योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाए। कुष्ठ रोगियों के किसी भी सरकारी कार्यालय में सार्वजनिक पद के लिए मनोनीत, चयनित या निर्वाचित होने पर कोई भेदभाव न हो। किसी भी कुष्ठ रोगी को उनके रोग के कारण सार्वजनिक कार्यालय या रोजगार से न हटाया जाए। कुष्ठ प्रभावित व्यक्तियों के लिए किसी भी सरकारी कार्यालय एवं सार्वजनिक स्थानों पर अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न किया जाए। स्कूल शिक्षा पाठ्यक्रम में सम्मिलित कर जागरूक किया जाए कि कुष्ठरोग पूर्णतः साध्य है तथा छुआछूत का रोग नहीं है। कुष्ठ से प्रभावित व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ते हुए सामाजिक विकास में उनकी भागीदारी एवं योगदान सुनिश्चित कराया जाए।





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