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फसल सुरक्षा के लिए भूमि शोधन अत्यंत आवश्यक है - लोकेन्द्र सिंह

  संवाददाता - बागी न्यूज 24       आजमगढ़ 08 मई- लोकेन्द्र सिंह, उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) आजमगढ़ मण्डल, ने अवगत कराया है कि खरीफ सीजन में बी...

 


संवाददाता - बागी न्यूज 24    

आजमगढ़ 08 मई- लोकेन्द्र सिंह, उप कृषि निदेशक (कृषि रक्षा) आजमगढ़ मण्डल, ने अवगत कराया है कि खरीफ सीजन में बीज शोधन एवं भूमि शोधन के द्वारा कम लागत में कीटों एवं रोगों का नियंत्रण कर गुणवत्ता युक्त अधिकाधिक उत्पादन लिया जा सकता है। इन विधियों को अपनाने से पर्यावरणीय प्रदूषण भी कम होता हैं। कीट रोग नियंत्रण की आद्युनिक विधा एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन (आई0पी0एम0) के अन्तर्गत भी इन परम्परागत विधियों को अपनाने पर बल दिया जाता है। ग्रीष्मकालीन कीट,रोग एवं खरपतवार प्रबंन्धन मानसून आने से पूर्व मई-जून महीने में किया जाता है।

उन्होने बताया कि मेड़ों पर उगने वाले खरपतवारों की सफाई से किनारों की प्रभावित फसलों के बीच खाद एवं उर्वरकों की प्रतिस्पर्धा कम हो जाती है। खरपतवारों को आगामी बोयी जाने वाली फसल में फैलने से रोका जा सकता है। मेड़ों पर उगे हुए खरपतवारों को नष्ट करने से हानिकारक कीटों एवं सूक्ष्म जीवों के आश्रय नष्ट हो जाते हैं। सिंचाई के जल को खेत में रोकने में सहायता मिलती है। ग्रीष्मकालीन जुताई करने से मृदा की संरचना में सुधार होता है जिससे मृदा की जल धारण क्षमता बढ़ती है जो फसलों के बढ़वार के लिये उपयोगी होती है। खेत की कठोर परत को तोड ़कर मृदा को जड़ों के विकास के लिए अनुकूल बनाने हेतु ग्राष्मकालीन जुताई अत्यधिक लाभकारी है। खेत में उगे हुए खरपतवार एवं फसल अवशेष मिट्टी में दबकर सड़ जाते हैं। जिससे मृदा में जीवांश की मात्रा बढ़ती है। मृदा के अन्दर छिपे हुए हानिकारक कीट जैसे दीमक,सफेद गिडार, कटुआ बीटिल एवं मैगेट के अण्डे, लार्वा व प्यूपा नष्ट हो जाते हैं जिससे अग्रिम फसल में कीटों का प्रकोप कम हो जाता है। गहरी जुताई में खरपतवारों जैसे-पथर चट्टा, जंगली चौलाई, दुध्धी, पान पत्ता, रसभरी, सॉवा, मकरा आदि के बीज सूर्य की तेज किरणों के सम्पर्क में आने से नष्ट हो जाते है। गर्मी की गहरी जुताई के उपरांत मृदा में पाये जाने वाले हानिकारक जीवाणु (इरवेनिया, राइजोमोनास, स्ट्रेप्टोमाइसीज आदि), कवक (फाइटोफ्थोरा, राइजोक्टोनिया, स्क्लेरोटीनिया, पाइथियम, वर्टीसीलियम आदि), निमेटोड (रुट नॉट) एवं अन्य हानिकारक सूक्ष्म जीव मर जाते है जो फसलों में बीमारी के प्रमुख कारण होते है। जमीन में वायु संचार बढ़ जाता है जो लाभकारी सूक्ष्म जीवों की वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है। मृदा में वायु संचार बढ़ने से खरपतवारनाशी एवं कीटनाशी रसायनों के विषाक्त अवशेष एवं पूर्व फसल की जड़ों द्वारा छोड़े गये हानिकारक रसायन सरलता से अपघटित हो जाते है।

उन्होने कहा कि फसल सुरक्षा के लिए भूमि शोधन अत्यंत आवश्यक है। भूमि जनित रोगों के नियंत्रण के लिए जैविक फफॅूदनाशक ट्राई्कोडर्मा हारजिएनम 2 प्रति0 की 2.5 किलोग्राम मात्रा प्रति हेक्टेयर 65-75 किग्रा0 कम्पोस्ट (गोबर की सड़ी खाद) में मिलाकर, हल्के पानी का छींटा देकर एक सप्ताह तक छायादार स्थान पर रखने के उपरान्त अंतिम जुताई के समय खेतों में मिला देने से फफॅूद से फैलने वाले रोग जैसे-जड़ गलन, तना सड़न, उकठा एवं झुलसा का नियंत्रण हो जाता है। ब्यूवेरिया बैसियाना 1.0 प्रति0 की 2.50 किग्रा0 मात्रा प्रति हेक्टेयर को 60-70 किग्रा0 कम्पोस्ट (गोबर की सड़ी खाद) में मिलाकर, हल्के पानी का छींटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पूर्व आखिरी जुताई के समय भूमि में मिलाने पर दीमक सहित भूमि जनित कीटों का नियंत्रण किया जा सकता है। भूमि शोधन से पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। मिट्टी में मौजूद फास्फोरस, पोटाश एवं अन्य पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ जाती है। भूमि जनित कीट/रोग के प्रकोप से बचाव में प्रयोग होने वाले रसायनों पर आने वाले व्यय में कमी आती है। 

बीज शोधन फसल सुरक्षा का सबसे सस्ता, कारगर व प्रारंभिक उपचार है। बीज शोधन कर बुवाई करने से बीजों का अंकुरण व फसल की बढवार अच्छी होने के साथ-साथ उसमें बीमारी लगने के एक तिहाई अवसर घट जाते हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाइयों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी फसलों की बुवाई बीज शोधन करने के उपरान्त ही करें। दलहनी फसलां में लगने वाले उकठा के नियंत्रण हेतु बुवाई से पूर्व 2.5 ग्राम थीरम 75 प्रतिशत डी0एस0 अथवा ट्राई्कोड्रर्मा हारजिएनम 2 प्रति0 की 4-5 ग्राम मात्रा अथवा थीरम 75 प्रति0 डब्लू0एस0 2 ग्राम + कार्बेण्डाजिम 50 प्रतिशत डब्लू0पी0 (2ः1) की 3 ग्राम मात्रा प्रति किलो0ग्रा0 बीज की दर से बीजशोधन कर बुआई करना चाहिए। बीज शोधन से बीज के सड़न की रोकथाम होती है जिससे जमाव अच्छा होता है तथा पौधा स्वस्थ होता है जिसके फलस्वरुप उत्पादन में उत्तरोत्तर वृद्धि होती है।


"BAGI News 24" Chief Editor Abdul Kaidir "Baaghi", Bureau Office –District Cooperative Federation Building, backside Collectorate Police Station, Civil Line, Azamgarh, Uttar Pradesh, India, Pin Number – 276001 E-mail Address – baginews24@gmail.com, Mobile Number - +91 9415370695








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