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अमर गीत ‘वंदे मातरम्’ पर विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया

  संवाददाता - बागी न्यूज 24   आजमगढ़। भारत की राष्ट्रीय चेतना का अमर गीत ‘वंदे मातरम्’ अपने 150वें वर्ष में प्रवेश करने पर करतालपुर स्थित जीड...

 

संवाददाता - बागी न्यूज 24  

आजमगढ़। भारत की राष्ट्रीय चेतना का अमर गीत ‘वंदे मातरम्’ अपने 150वें वर्ष में प्रवेश करने पर करतालपुर स्थित जीडी ग्लोबल स्कूल में एक विशेष प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय की प्रार्थना सभा टीम द्वारा वंदेमातरम् की महत्ता पर बहुत ही सुंदर गीत की प्रस्तुति दी गई। विद्यालय के सीनियर वर्ग की छात्राओं ने इस विषय पर  अपने अपने विचार प्रस्तुत किए। विद्यालय के विद्यार्थियों ने बताया कि  ‘वंदे मातरम्’ रचना भारत माता के प्रति समर्पण, स्वाभिमान और स्वतंत्रता की भावना का प्रतीक है। इसे 1875 ई. के आसपास महान साहित्यकार बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने अपनी अमर कृति आनंदमठ में रचा था। यह गीत स्वतंत्रता संग्राम के दौरान करोड़ों भारतीयों की प्रेरणा का स्रोत बना और आज भी राष्ट्रीय एकता, साहस और गौरव का प्रतीक है।  बच्चों द्वारा  विविध सांस्कृतिक, शैक्षणिक और देशभक्ति से ओतप्रोत कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। विद्यालय की निदेशिका श्रीमती स्वाति अग्रवाल ने राष्ट्रीयता का संदेश देते हुए वंदेमातरम् की महत्ता को प्रतिपादित किया। प्रबंधक श्री गौरव अग्रवाल  ने अपने वक्तव्य में कहा कि-" वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, यह हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान और मातृभूमि के प्रति श्रद्धा का अमर प्रतीक है। इस 150वीं वर्षगांठ पर हम उस भावना को पुनर्जीवित कर रहे हैं जिसने भारत को स्वतंत्रता की राह दिखाई।” कार्यकारी निदेशक श्री श्रीश अग्रवाल ने अपने संदेश में कहा कि-आज, जब हम इसकी 150वीं वर्षगांठ मना रहे हैं, यह आवश्यक है कि हम अपने विद्यार्थियों और युवा पीढ़ी में उसी देशप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा की भावना का संचार करें। यह गीत हमें यह स्मरण कराता है कि भारत केवल भूमि का टुकड़ा नहीं, बल्कि ‘माता’ है—जिसकी रक्षा, उन्नति और गौरव के लिए हम सभी उत्तरदायी हैं। विद्यालय की प्रधानाचार्या श्रीमती दीपाली भुस्कुटे ने वंदेमातरम् का जोश भरते हुए कहा कि-‘वंदे मातरम्’ के 150 वर्ष पूरे होना हम सबके लिए गर्व का क्षण है। यह गीत न केवल स्वतंत्रता संग्राम का प्रेरणास्रोत रहा, बल्कि भारतीय संस्कृति, भाषा और राष्ट्रभावना को एक सूत्र में बाँधने वाला अद्भुत प्रतीक भी है। मैं सभी विद्यार्थियों  से आग्रह करता हूँ कि वे इस अवसर पर ‘वंदे मातरम्’ के शब्दों के मर्म को समझें और अपने जीवन में उसे आत्मसात करें। यही इस गीत के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।



  

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